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उसने कहा था – हिंदी बोध कथा(डॉ दर्शन बांगिया)

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aawaaj-dr. swati tiwari bhopal

लड़की : अरे ये क्या कर रहे हो ?
लड़का: दिख नहीं रहा बुद्धू पौधा लगा रहा हूँ !
लड़की : वो तो दिख ही रहा है पर अचानक क्या सूझी ?
लड़का : आज तुम्हारा जन्मदिन है ना.. तो मैंने तय किया है कि तुम्हारे हर जन्मदिन पर एक पौधा लगाउँगा और देखना एक दिन ये सारे पौधे विशाल पेड़ बनेंगे और बग़ीचे का हर कोना तुम्हारे अहसास से भरा होगा मेरे दिल की तरह,और जब हमारे बच्चे और बच्चों के बच्चे होंगे ना वो सब भी तुम्हारे नाम की ऑक्सिजन लेंगे”।
लड़की ने ज़ोर का ठहाका लगाया और बोली “तुम सच में पागल हो गए हो और बता देती हूँ जनाब आपका ये पैधे लगाने वाला आइडीया ज़्यादा से ज़्यादा तीन साल तक चलेगा फिर भूल जाओगे तुम जैसे हर चीज़ भूलते हो”।
लड़के के चेहरे का भाव बदल गया।”ऐसे मत कहो ना यार,और जब मैं कोई चीज़ दिल से करता हूँ ना तो उसे कभी नही भूलता “।
लड़की बोली “तो फिर वादा करो तुम ज़िंदगी भर मेरे हर जन्मदिन पर यहाँ पौधे लगाओगे चाहे हम साथ हो या ना हो..
लड़का बोला ‘मैं वादा करता हूँ.. मगर आगे से कभी तुम ये साथ ना रहने की बात नहीं करोगी”।
लड़की ने प्यार से उसे ज़ोर से गले लगा लिया।ओह मेरे डब्बू….
पूरे बीस साल हो गए…
न जाने वो वक़्त की कौनसी अभागिन घड़ी थी जिसने दोनो को जुदा कर दिया था आज लड़की फिर उसी शहर में थी.. वहाँ का हर कोना,हर गली,हर जगह,लड़के की याद दिला रही थी.. लड़की की नज़रें लड़के की एक झलक के लिए तरस रही थी मगर वो कहीं नहीं दिखा.. “बस वक्त की ऐसी मार पड़ी और उन्हें बिछड़ना पड़ा और जाते हुए आख़री बार उसी ने तो उससे वादा लिया था के कभी पलट के नहीं आओगे मेरी ज़िंदगी में”।
तेज़ बारिश हो रही थी भीगते हुए चलते-चलते उसके क़दम ख़ुद ही उस बग़ीचे की तरफ़ बढ़ने लगे, वहाँ पहुँचते ही उसका गला भर आया।यही वह जगह थी जहाँ उसने लड़के के साथ अपने जीवन के सबसे बेहतरीन और सुकून भरे पल गुज़ारे थे.. अंदर जा कर देखा तो बग़ीचा बेहद ख़ूबसूरत और हरा-भरा दिख रहा था और तभी अचानक उसकी नज़र लड़के पर पड़ी जो वहाँ बैठा पौधा लगा रहा था।उसे देखते ही वो ख़ुद को रोक नहीं पायी और दौड़ के उसे गले लगा लिय।फूट फूट के रोने लगी.. लड़का कुछ नही बोला बस मौन खड़ा रहा.. तभी एक लड़की आयी और बोली “सॉरी आंटी मेरे पापा कई साल पहले अपनी याददाश्त खो चुके हैं.. ही इज़ अल्ज़ाइमर पेशंट” कई सालों से वो जुलाई की हर सात तारीख़ को बस एक बार यहाँ आते हैं और एक पौधा लगा जाते हैं” जब भी हम इसका कारण पूछते है तो इनका एक ही जवाब होता है- “उसने कहा था” आइये हम भी आने वाले वंश के लिए ऑक्सीजन का प्रबंध करे- ओर घर परिवार में हर शुभ मौके पर एक पौधा अवश्य लगाए- डॉ दर्शन बांगिया

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लड़का: दिख नहीं रहा बुद्धू पौधा लगा रहा हूँ !
लड़की : वो तो दिख ही रहा है पर अचानक क्या सूझी ?
लड़का : आज तुम्हारा जन्मदिन है ना.. तो मैंने तय किया है कि तुम्हारे हर जन्मदिन पर एक पौधा लगाउँगा और देखना एक दिन ये सारे पौधे विशाल पेड़ बनेंगे और बग़ीचे का हर कोना तुम्हारे अहसास से भरा होगा मेरे दिल की तरह,और जब हमारे बच्चे और बच्चों के बच्चे होंगे ना वो सब भी तुम्हारे नाम की ऑक्सिजन लेंगे”।
लड़की ने ज़ोर का ठहाका लगाया और बोली “तुम सच में पागल हो गए हो और बता देती हूँ जनाब आपका ये पैधे लगाने वाला आइडीया ज़्यादा से ज़्यादा तीन साल तक चलेगा फिर भूल जाओगे तुम जैसे हर चीज़ भूलते हो”।
लड़के के चेहरे का भाव बदल गया।”ऐसे मत कहो ना यार,और जब मैं कोई चीज़ दिल से करता हूँ ना तो उसे कभी नही भूलता “।
लड़की बोली “तो फिर वादा करो तुम ज़िंदगी भर मेरे हर जन्मदिन पर यहाँ पौधे लगाओगे चाहे हम साथ हो या ना हो..
लड़का बोला ‘मैं वादा करता हूँ.. मगर आगे से कभी तुम ये साथ ना रहने की बात नहीं करोगी”।
लड़की ने प्यार से उसे ज़ोर से गले लगा लिया।ओह मेरे डब्बू….
पूरे बीस साल हो गए…
न जाने वो वक़्त की कौनसी अभागिन घड़ी थी जिसने दोनो को जुदा कर दिया था आज लड़की फिर उसी शहर में थी.. वहाँ का हर कोना,हर गली,हर जगह,लड़के की याद दिला रही थी.. लड़की की नज़रें लड़के की एक झलक के लिए तरस रही थी मगर वो कहीं नहीं दिखा.. “बस वक्त की ऐसी मार पड़ी और उन्हें बिछड़ना पड़ा और जाते हुए आख़री बार उसी ने तो उससे वादा लिया था के कभी पलट के नहीं आओगे मेरी ज़िंदगी में”।
तेज़ बारिश हो रही थी भीगते हुए चलते-चलते उसके क़दम ख़ुद ही उस बग़ीचे की तरफ़ बढ़ने लगे, वहाँ पहुँचते ही उसका गला भर आया।यही वह जगह थी जहाँ उसने लड़के के साथ अपने जीवन के सबसे बेहतरीन और सुकून भरे पल गुज़ारे थे.. अंदर जा कर देखा तो बग़ीचा बेहद ख़ूबसूरत और हरा-भरा दिख रहा था और तभी अचानक उसकी नज़र लड़के पर पड़ी जो वहाँ बैठा पौधा लगा रहा था।उसे देखते ही वो ख़ुद को रोक नहीं पायी और दौड़ के उसे गले लगा लिय।फूट फूट के रोने लगी.. लड़का कुछ नही बोला बस मौन खड़ा रहा.. तभी एक लड़की आयी और बोली “सॉरी आंटी मेरे पापा कई साल पहले अपनी याददाश्त खो चुके हैं.. ही इज़ अल्ज़ाइमर पेशंट” कई सालों से वो जुलाई की हर सात तारीख़ को बस एक बार यहाँ आते हैं और एक पौधा लगा जाते हैं” जब भी हम इसका कारण पूछते है तो इनका एक ही जवाब होता है- “उसने कहा था” आइये हम भी आने वाले वंश के लिए ऑक्सीजन का प्रबंध करे- ओर घर परिवार में हर शुभ मौके पर एक पौधा अवश्य लगाए- डॉ दर्शन बांगिया

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