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Ep-301 अध्याय - 7 परम ज्ञान का सार
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बहुत बहुत आभार संगीता जी आपके श्री मुख वाणी से आज भगवद गीता के अध्याय सात परम ज्ञान के सार केबारे सुना बहुत आनंद आया आपको सुनके🙏 आज संगीता जी ने भगवद गीता के अध्याय सात परम ज्ञान का सार बताया,फ्रेंड्स भगवद गीता के पहले छ अध्यायो में कृष्ण हमे अर्जुन के माध्यम से आत्म के बारे फिर कर्म योग,फिर ध्यान योग के बारे बताया इस अध्याय में कृष्ण हमे ज्ञान दे रहे अपने बारे बता रहे जिसे सुनकर और कोई ज्ञान लेने की इच्छा नही रहेगी,फ्रेंड्स यहां प्रभु ने बताया कोई विरला ही होता जो भगवान को जानने को जिज्ञासा करता भक्ति पथ पर चलने वाला कोई विरला होता तो फ्रेंड्स यहां सबसे पहले हम भगवान की विशेष कृपा शक्ति को फील कर सकते हम बहुत ब्लेस्ड है जो इस divine प्लेटफार्म का पार्ट है,आगे प्रभु जी ने अपनी (अपरा) शक्ति के बारे बताया अपरा शक्ति में आता जल,वायु,अग्नि,पृथिवी,आकाश,और मन,बुद्धि,अहंकार ये अपरा शक्ति है,फिर परा शक्ति है जिसमे जड़ और चेतन पैदा होता तो सरल शब्दों में समझे सृष्टि का सर्जन करने वाले चलन करने वाले और विनाश करने वाले प्रभु है है,आगे इस अध्याय में प्रभु बता रहे की जल के स्वाद में,ओंकार को धवनी, चंद,सूर्य की रोशनी,आकाश की ध्वनि,अग्नि के तेज में,सभी प्राणियों के अंदर, मिट्टी की खुशबू में, तप में जप में सब भगवान है,आगे इस अध्याय में त्रिघुनी माया का वर्णन हुआ माया को तब ही समझा जायेगा जब जीव पूरी तरह मायापति की शरण ग्रहण करेगा,आगे इस अध्याय में चार तरह की पुण्य आत्मा के बारे भी बताया संगीता जी ने एक आर्त मतलब दुखी होगा दुखो से बचने के लिए प्रभु की शरण में जाता,दूसरा जिज्ञासु जिसको अपने आपको जानने को जिज्ञासा होगी परमात्मा को जानने को जिज्ञासा होगी वो प्रभु की शरण ग्रहण करता,तीसरा अर्थायी,जिसकी आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं होती वो मागने के उद्देश्य से प्रभु की शरण ग्रहण करता और चार ज्ञानी जिसको ज्ञान प्राप्त करना वो प्रभु की शरण ग्रहण करता। आगे इस अध्याय में देवताओं के लोक के बारे बताया जो देवताओं का पूजन करते वो देव लोक को जाते और भगवान के परम भक्त भगवान के परम धाम गोलोक धाम में जाते तो फ्रेंड्स यहां विस्तारपूर्वक बता दिया प्रभु ने और अब चॉइस दे दी है हमे देर किस बात की आइए प्रसन्न चित्त हृदय से खुद भी जपे और दुसरो को जपने के लिए प्रेरित करें
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बहुत बहुत आभार संगीता जी आपके श्री मुख वाणी से आज भगवद गीता के अध्याय सात परम ज्ञान के सार केबारे सुना बहुत आनंद आया आपको सुनके🙏 आज संगीता जी ने भगवद गीता के अध्याय सात परम ज्ञान का सार बताया,फ्रेंड्स भगवद गीता के पहले छ अध्यायो में कृष्ण हमे अर्जुन के माध्यम से आत्म के बारे फिर कर्म योग,फिर ध्यान योग के बारे बताया इस अध्याय में कृष्ण हमे ज्ञान दे रहे अपने बारे बता रहे जिसे सुनकर और कोई ज्ञान लेने की इच्छा नही रहेगी,फ्रेंड्स यहां प्रभु ने बताया कोई विरला ही होता जो भगवान को जानने को जिज्ञासा करता भक्ति पथ पर चलने वाला कोई विरला होता तो फ्रेंड्स यहां सबसे पहले हम भगवान की विशेष कृपा शक्ति को फील कर सकते हम बहुत ब्लेस्ड है जो इस divine प्लेटफार्म का पार्ट है,आगे प्रभु जी ने अपनी (अपरा) शक्ति के बारे बताया अपरा शक्ति में आता जल,वायु,अग्नि,पृथिवी,आकाश,और मन,बुद्धि,अहंकार ये अपरा शक्ति है,फिर परा शक्ति है जिसमे जड़ और चेतन पैदा होता तो सरल शब्दों में समझे सृष्टि का सर्जन करने वाले चलन करने वाले और विनाश करने वाले प्रभु है है,आगे इस अध्याय में प्रभु बता रहे की जल के स्वाद में,ओंकार को धवनी, चंद,सूर्य की रोशनी,आकाश की ध्वनि,अग्नि के तेज में,सभी प्राणियों के अंदर, मिट्टी की खुशबू में, तप में जप में सब भगवान है,आगे इस अध्याय में त्रिघुनी माया का वर्णन हुआ माया को तब ही समझा जायेगा जब जीव पूरी तरह मायापति की शरण ग्रहण करेगा,आगे इस अध्याय में चार तरह की पुण्य आत्मा के बारे भी बताया संगीता जी ने एक आर्त मतलब दुखी होगा दुखो से बचने के लिए प्रभु की शरण में जाता,दूसरा जिज्ञासु जिसको अपने आपको जानने को जिज्ञासा होगी परमात्मा को जानने को जिज्ञासा होगी वो प्रभु की शरण ग्रहण करता,तीसरा अर्थायी,जिसकी आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं होती वो मागने के उद्देश्य से प्रभु की शरण ग्रहण करता और चार ज्ञानी जिसको ज्ञान प्राप्त करना वो प्रभु की शरण ग्रहण करता। आगे इस अध्याय में देवताओं के लोक के बारे बताया जो देवताओं का पूजन करते वो देव लोक को जाते और भगवान के परम भक्त भगवान के परम धाम गोलोक धाम में जाते तो फ्रेंड्स यहां विस्तारपूर्वक बता दिया प्रभु ने और अब चॉइस दे दी है हमे देर किस बात की आइए प्रसन्न चित्त हृदय से खुद भी जपे और दुसरो को जपने के लिए प्रेरित करें
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