Artwork

Content provided by Parveen Sharma. All podcast content including episodes, graphics, and podcast descriptions are uploaded and provided directly by Parveen Sharma or their podcast platform partner. If you believe someone is using your copyrighted work without your permission, you can follow the process outlined here https://player.fm/legal.
Player FM - Podcast App
Go offline with the Player FM app!

Ep20_ताशकंद से बातें_Tashkent Diaries_September_पतझड़ लायी बहार, ताशकंद में भारत, कत्थक, सितार, हिंदी, दोस्त, भावों का दूसरा हफ़्ता

36:16
 
Share
 

Manage episode 438564739 series 3248653
Content provided by Parveen Sharma. All podcast content including episodes, graphics, and podcast descriptions are uploaded and provided directly by Parveen Sharma or their podcast platform partner. If you believe someone is using your copyrighted work without your permission, you can follow the process outlined here https://player.fm/legal.

मैंने खत में तुमको क्या लिखा था,
मुझे याद नहीं
शायद लिखा था तुमको
कि जल्दी लौटूंगा
लौटूंगा वैसा ही
जैसा गया था यहां से
लौटूंगा शून्य होकर
शायद लौटूंगा किसी कवि की तरह
पहले से बेहतर होकर
या फिर घर से भागकर गए
शहजादे की तरह
लौटूंगा गलत पते से होकर
सही पते पहुंचे किसी खत की तरह
लौटूंगा शायद हर बरस छज्जे से गिरने वाली
मौसम की पहली बारिश की तरह
जब भी लौटूंगा
लौटूंगा तुमसे मिलने के इंतजार में
लौटूंगा जरूर...
लौटूंगा तुम्हारे लिए.......
Ep20_ताशकंद से बातें_Tashkent Diaries_September's Entry_पतझड़ लायी बहार, ताशकंद में भारत, कत्थक, सितार, हिंदी, दोस्त, भावों का दूसरा हफ़्ता

जब आप अपने देश से किसी दूसरे देश में जाते हैं तो लगता है सारा देश, उसमें रहने वाले करोड़ों करोड़ों लोग, उनके विचार-व्यवहार, ख़ान पान, तीज त्योहार, चिंता और ख़ुशी दोनों, उम्मीदें भी और हताशाएँ भी, सब साथ आ जाती हैं! बिना किसी वजन के। ना वीज़ा अलग से लगता उनका ना कोई और जाँच होती है।

हम ख़ुद नहीं चलते, जिन्हें हम मानते हैं और जिनकी हम मानते हैं - चलाते तो हमें वो हैं।

विनम्र और कृतज्ञ, शुक्रगुज़ार, रहना ज़रूरी है बस।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम परवीन शर्मा है। आप मुझे फिर से सुन रहें हैं

ताशकंद डायरीज में। पॉडकास्ट का नाम है टीचर पर्व पॉडकास्ट्स।

ये यात्रा एक हिम्मती विराम - विश्राम के बाद फिर से शुरू हुई है। जैसा कि मैंने कहा कि हमें चलाते और बनाते वो हैं जिनकी और जिनको हम मानते हैं, जो हर परिस्थिति में हमारा साथ ही देते हैं। मेरे लिये ये मेरा परिवार, गुरुजन, दोस्त और इन तीनों रूपों में वो जो मेरे स्टूडेंट्स हैं - ये हैं वो लोग, जिनको और जिनकी बात को मानना मुझे आया है इस विश्राम में। जीवन के चौथे दशक में प्रवेश इतनी तसल्ली के साथ होगा, ये सोचा ना था। धन या पद की बात नहीं, यहाँ तो बात अपने सौभाग्य की है। अच्छा करने का अवसर मिल जाना है पहले जो अच्छा किया उसका फल है। मेरे लिये यही भगवद् गीता का संदेश और सीख और सार है।

अब लौटे हैं ताशकंद डायरीज में तो औपचारिक भूमिका भी कह देते हैं।

उज़बेकिस्तान के प्रति अत्यंत आदर और धन्यवाद के साथ

क्योंकि अगर वापस बुलाया ही है, तो ये धरती कुछ ख़ास जादू रखती है। लोग कुछ ज़्यादा मुहब्बत और आबो हवा कुछ दैवीय। मेरे लिये तो ये भाव सच ही प्रतीत होता है।

  continue reading

165 episodes

Artwork
iconShare
 
Manage episode 438564739 series 3248653
Content provided by Parveen Sharma. All podcast content including episodes, graphics, and podcast descriptions are uploaded and provided directly by Parveen Sharma or their podcast platform partner. If you believe someone is using your copyrighted work without your permission, you can follow the process outlined here https://player.fm/legal.

मैंने खत में तुमको क्या लिखा था,
मुझे याद नहीं
शायद लिखा था तुमको
कि जल्दी लौटूंगा
लौटूंगा वैसा ही
जैसा गया था यहां से
लौटूंगा शून्य होकर
शायद लौटूंगा किसी कवि की तरह
पहले से बेहतर होकर
या फिर घर से भागकर गए
शहजादे की तरह
लौटूंगा गलत पते से होकर
सही पते पहुंचे किसी खत की तरह
लौटूंगा शायद हर बरस छज्जे से गिरने वाली
मौसम की पहली बारिश की तरह
जब भी लौटूंगा
लौटूंगा तुमसे मिलने के इंतजार में
लौटूंगा जरूर...
लौटूंगा तुम्हारे लिए.......
Ep20_ताशकंद से बातें_Tashkent Diaries_September's Entry_पतझड़ लायी बहार, ताशकंद में भारत, कत्थक, सितार, हिंदी, दोस्त, भावों का दूसरा हफ़्ता

जब आप अपने देश से किसी दूसरे देश में जाते हैं तो लगता है सारा देश, उसमें रहने वाले करोड़ों करोड़ों लोग, उनके विचार-व्यवहार, ख़ान पान, तीज त्योहार, चिंता और ख़ुशी दोनों, उम्मीदें भी और हताशाएँ भी, सब साथ आ जाती हैं! बिना किसी वजन के। ना वीज़ा अलग से लगता उनका ना कोई और जाँच होती है।

हम ख़ुद नहीं चलते, जिन्हें हम मानते हैं और जिनकी हम मानते हैं - चलाते तो हमें वो हैं।

विनम्र और कृतज्ञ, शुक्रगुज़ार, रहना ज़रूरी है बस।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम परवीन शर्मा है। आप मुझे फिर से सुन रहें हैं

ताशकंद डायरीज में। पॉडकास्ट का नाम है टीचर पर्व पॉडकास्ट्स।

ये यात्रा एक हिम्मती विराम - विश्राम के बाद फिर से शुरू हुई है। जैसा कि मैंने कहा कि हमें चलाते और बनाते वो हैं जिनकी और जिनको हम मानते हैं, जो हर परिस्थिति में हमारा साथ ही देते हैं। मेरे लिये ये मेरा परिवार, गुरुजन, दोस्त और इन तीनों रूपों में वो जो मेरे स्टूडेंट्स हैं - ये हैं वो लोग, जिनको और जिनकी बात को मानना मुझे आया है इस विश्राम में। जीवन के चौथे दशक में प्रवेश इतनी तसल्ली के साथ होगा, ये सोचा ना था। धन या पद की बात नहीं, यहाँ तो बात अपने सौभाग्य की है। अच्छा करने का अवसर मिल जाना है पहले जो अच्छा किया उसका फल है। मेरे लिये यही भगवद् गीता का संदेश और सीख और सार है।

अब लौटे हैं ताशकंद डायरीज में तो औपचारिक भूमिका भी कह देते हैं।

उज़बेकिस्तान के प्रति अत्यंत आदर और धन्यवाद के साथ

क्योंकि अगर वापस बुलाया ही है, तो ये धरती कुछ ख़ास जादू रखती है। लोग कुछ ज़्यादा मुहब्बत और आबो हवा कुछ दैवीय। मेरे लिये तो ये भाव सच ही प्रतीत होता है।

  continue reading

165 episodes

All episodes

×
 
Loading …

Welcome to Player FM!

Player FM is scanning the web for high-quality podcasts for you to enjoy right now. It's the best podcast app and works on Android, iPhone, and the web. Signup to sync subscriptions across devices.

 

Quick Reference Guide