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Future freebee (summer insurance)? Factorial Episode 24

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मानवाधिकारभारत पहली बारः 50 हजार भारतीय महिलाओं को मिला तापमान-बीमा भारत की 50 हजार महिलाओं को पहली बार बीमा भुगतान हुआ है, जो अत्यधिक तापमान पर दिया जाता है. खुद का रोजगार करने वालीं 50 हजार भारतीय महिलाओं को तापमान-बीमा का भुगतान किया गया है. पहली बार ऐसा भुगतान हुआ है. तापमान बीमा एक ऐसी योजना है जिसके तहत अत्यधिक गर्मी होने पर उन महिलाओं को भुगतान किया जाएगा जिनका कामकाज गर्मी के कारण प्रभावित हुआ हो. 18 मई से 25 के बीच भारत के कई शहरों में तापमान 40 डिग्री को पार कर गया था. इसी की एवज में राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र की इन महिलाओं को 400 रुपये का भुगतान किया गया है. यह योजना अंतरराष्ट्रीय समाजसेवी संस्था ‘क्लाइमेट रेजिलिएंस फॉर ऑल' (CRA) ने भारत में महिलाओं के लिए काम करने वाली संस्था ‘सेल्फ-इंप्लॉयड विमिंज एसोसिएशन' (SEWA) के साथ मिलकर शुरू की है. सीआरए की सीईओ कैथी बॉगमन मैक्लॉयड ने कहा, "यह पहली बार है जब सीधे नगद भुगतान को बीमा योजना के साथ जोड़ा गया है ताकि उन महिलाओं की आर्थिक मदद की जा सके, जिनकी आय अत्यधिक गर्मी के कारण प्रभावित हो रही है.” एक नई रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 2016 के बाद से अभी तक हुए कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में अधिकांश के लिए सिर्फ 57 उत्पादक जिम्मेदार हैं. इस सूची में भारत सरकार की एक जानी मानी कंपनी का नाम भी शामिल है. सिर्फ 57 उत्पादक गैर-लाभकारी संगठन "इन्फ्लुएंसमैप" की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 2016 के बाद से अभी तक हुए कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में अधिकांश के लिए सिर्फ 57 जीवाश्म ईंधन और सीमेंट के उत्पादक जिम्मेदार हैं. रिपोर्ट का नाम "कार्बन मेजर्स" है. 80 प्रतिशत योगदान समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस सूची में कुछ देश, सरकारी कंपनियों और निवेशकों के स्वामित्व वाली कंपनियों समेत 57 उत्पादक शामिल हैं. 2016 से 2022 के बीच दुनिया के कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 80 प्रतिशत योगदान इन सबका ही रहा. अरामको अरामको सऊदी अरब की राष्ट्रीय तेल कंपनी है. इसे राजस्व के लिहाज से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी माना जाता है. "कार्बन मेजर्स" रिपोर्ट के मुताबिक यह दुनिया की सबसे बड़ी उत्सर्जक कंपनी है. गैजप्रॉम रिपोर्ट में रूसी बहुराष्ट्रीय कंपनी गैजप्रॉम दूसरे नंबर पर है. रूस की सरकार के पास इस कंपनी की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है. इसे शेयर बाजार में लिस्टेड दुनिया की सबसे बड़ी प्राकृतिक गैस कंपनी के रूप में जाना जाता है. कोल इंडिया रिपोर्ट में गैजप्रॉम के बाद स्थान है भारत की कोयला कंपनी "कोल इंडिया" का. इस पर पूरी तरह से भारत सरकार का स्वामित्व है. इसे दुनिया के सबसे बड़े सरकारी कोयला उत्पादक के रूप में जाना जाता है. ताक पर पेरिस समझौता रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में संयुक्त राष्ट्र के पेरिस समझौते पर दुनिया भर के देशों के हस्ताक्षर करने के बाद अधिकांश कंपनियों ने अपने जीवाश्म ईंधन उत्पादन को घटाने की जगह बढ़ा दिया है. तब से कई सरकारों और कंपनियों ने उत्सर्जन के कड़े लक्ष्य तय किए हैं, लेकिन उन्होंने पहले से ज्यादा जीवाश्म ईंधन बनाए और जलाए हैं. इससे उत्सर्जन बढ़ा है. 400 रुपये के इस भुगतान के अलावा लगभग 92 फीसदी महिलाओं को करीब 1,600 रुपये तक का अतिरिक्त भुगतान भी मिला जो स्थानीय परिस्थितियों और गर्मी की अवधि के आधार पर तय होता है. इस योजना के तहत कुल तीन करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. यह बीमा योजना स्विट्जरलैंड की कंपनी स्विस री और भारत के आईसीआईसीआई लोंबार्ड के सहयोग से चलाई गई है. बहुत से नीति विशेषज्ञ बीमा योजनाओं को मौसमी आपदाओं से प्रभावित होने वाले कमजोर तबकों की आर्थिक मदद का एक जरूरी जरिया मानने लगे हैं. ऐसी योजनाएं कई देशों में शुरू हो गई हैं. संयुक्त राष्ट्र की संस्था युनाइटेड नेशंस डेवलेपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) ने इंश्योरेंस एंड रिस्क फाइनेंस फैसिलिटी के नाम से एक संगठन स्थापित किया है. यह संगठन दुनियाभर में इश्योरेंस क्षेत्र की बड़ी कंपनियों और सरकारों के साथ मिलकर काम करता है. 33 देशों में काम कर रहे इस संगठन का मकसद जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली आपदाओं के वक्त एक मजबूत वित्तीय आधार उपलब्ध कराना है, जो कमजोर तबकों की मदद कर सके. यूएनडीपी के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली आपदाओं के लिए सबसे कम तैयारी विकासशील देशों में ही है. इनमें भी सबसे ज्यादा खतरा महिलाओं को है क्योंकि दुनियाभर की गरीब आबादी में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है. यूएनडीपी में इंश्योरेंस एंड रिस्क फाइनेंस फैसिलिटी के टीम लीडर यान केलेट लिखते हैं कि बीमा
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मानवाधिकारभारत पहली बारः 50 हजार भारतीय महिलाओं को मिला तापमान-बीमा भारत की 50 हजार महिलाओं को पहली बार बीमा भुगतान हुआ है, जो अत्यधिक तापमान पर दिया जाता है. खुद का रोजगार करने वालीं 50 हजार भारतीय महिलाओं को तापमान-बीमा का भुगतान किया गया है. पहली बार ऐसा भुगतान हुआ है. तापमान बीमा एक ऐसी योजना है जिसके तहत अत्यधिक गर्मी होने पर उन महिलाओं को भुगतान किया जाएगा जिनका कामकाज गर्मी के कारण प्रभावित हुआ हो. 18 मई से 25 के बीच भारत के कई शहरों में तापमान 40 डिग्री को पार कर गया था. इसी की एवज में राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र की इन महिलाओं को 400 रुपये का भुगतान किया गया है. यह योजना अंतरराष्ट्रीय समाजसेवी संस्था ‘क्लाइमेट रेजिलिएंस फॉर ऑल' (CRA) ने भारत में महिलाओं के लिए काम करने वाली संस्था ‘सेल्फ-इंप्लॉयड विमिंज एसोसिएशन' (SEWA) के साथ मिलकर शुरू की है. सीआरए की सीईओ कैथी बॉगमन मैक्लॉयड ने कहा, "यह पहली बार है जब सीधे नगद भुगतान को बीमा योजना के साथ जोड़ा गया है ताकि उन महिलाओं की आर्थिक मदद की जा सके, जिनकी आय अत्यधिक गर्मी के कारण प्रभावित हो रही है.” एक नई रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 2016 के बाद से अभी तक हुए कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में अधिकांश के लिए सिर्फ 57 उत्पादक जिम्मेदार हैं. इस सूची में भारत सरकार की एक जानी मानी कंपनी का नाम भी शामिल है. सिर्फ 57 उत्पादक गैर-लाभकारी संगठन "इन्फ्लुएंसमैप" की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 2016 के बाद से अभी तक हुए कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में अधिकांश के लिए सिर्फ 57 जीवाश्म ईंधन और सीमेंट के उत्पादक जिम्मेदार हैं. रिपोर्ट का नाम "कार्बन मेजर्स" है. 80 प्रतिशत योगदान समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस सूची में कुछ देश, सरकारी कंपनियों और निवेशकों के स्वामित्व वाली कंपनियों समेत 57 उत्पादक शामिल हैं. 2016 से 2022 के बीच दुनिया के कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 80 प्रतिशत योगदान इन सबका ही रहा. अरामको अरामको सऊदी अरब की राष्ट्रीय तेल कंपनी है. इसे राजस्व के लिहाज से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी माना जाता है. "कार्बन मेजर्स" रिपोर्ट के मुताबिक यह दुनिया की सबसे बड़ी उत्सर्जक कंपनी है. गैजप्रॉम रिपोर्ट में रूसी बहुराष्ट्रीय कंपनी गैजप्रॉम दूसरे नंबर पर है. रूस की सरकार के पास इस कंपनी की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है. इसे शेयर बाजार में लिस्टेड दुनिया की सबसे बड़ी प्राकृतिक गैस कंपनी के रूप में जाना जाता है. कोल इंडिया रिपोर्ट में गैजप्रॉम के बाद स्थान है भारत की कोयला कंपनी "कोल इंडिया" का. इस पर पूरी तरह से भारत सरकार का स्वामित्व है. इसे दुनिया के सबसे बड़े सरकारी कोयला उत्पादक के रूप में जाना जाता है. ताक पर पेरिस समझौता रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में संयुक्त राष्ट्र के पेरिस समझौते पर दुनिया भर के देशों के हस्ताक्षर करने के बाद अधिकांश कंपनियों ने अपने जीवाश्म ईंधन उत्पादन को घटाने की जगह बढ़ा दिया है. तब से कई सरकारों और कंपनियों ने उत्सर्जन के कड़े लक्ष्य तय किए हैं, लेकिन उन्होंने पहले से ज्यादा जीवाश्म ईंधन बनाए और जलाए हैं. इससे उत्सर्जन बढ़ा है. 400 रुपये के इस भुगतान के अलावा लगभग 92 फीसदी महिलाओं को करीब 1,600 रुपये तक का अतिरिक्त भुगतान भी मिला जो स्थानीय परिस्थितियों और गर्मी की अवधि के आधार पर तय होता है. इस योजना के तहत कुल तीन करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. यह बीमा योजना स्विट्जरलैंड की कंपनी स्विस री और भारत के आईसीआईसीआई लोंबार्ड के सहयोग से चलाई गई है. बहुत से नीति विशेषज्ञ बीमा योजनाओं को मौसमी आपदाओं से प्रभावित होने वाले कमजोर तबकों की आर्थिक मदद का एक जरूरी जरिया मानने लगे हैं. ऐसी योजनाएं कई देशों में शुरू हो गई हैं. संयुक्त राष्ट्र की संस्था युनाइटेड नेशंस डेवलेपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) ने इंश्योरेंस एंड रिस्क फाइनेंस फैसिलिटी के नाम से एक संगठन स्थापित किया है. यह संगठन दुनियाभर में इश्योरेंस क्षेत्र की बड़ी कंपनियों और सरकारों के साथ मिलकर काम करता है. 33 देशों में काम कर रहे इस संगठन का मकसद जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली आपदाओं के वक्त एक मजबूत वित्तीय आधार उपलब्ध कराना है, जो कमजोर तबकों की मदद कर सके. यूएनडीपी के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली आपदाओं के लिए सबसे कम तैयारी विकासशील देशों में ही है. इनमें भी सबसे ज्यादा खतरा महिलाओं को है क्योंकि दुनियाभर की गरीब आबादी में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है. यूएनडीपी में इंश्योरेंस एंड रिस्क फाइनेंस फैसिलिटी के टीम लीडर यान केलेट लिखते हैं कि बीमा
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